मुझसे बिछड़े अरसा बीता,
जाने अब वो किससे लड़ता होगा।
बच्चों को पैरों पर, खड़ा करना था,
पिता के घुटने, इसी में जवाब दे गये।
हम सादगी में झुक क्या गए,
लोगों ने समझा हमारा दौर ही खत्म हो गया।
मिल जाएंगे हमारी भी तारीफ करने वाले,
कोई हमारी मौत की अफवाह तो फैला दो।
अगर नए रिश्ते न बनें तो, मलाल मत करना,
पुराने टूट ना जायें बस, इतना ख्याल रखना।
ऐ-जिंदगी तू खेलती बहुत है खुशियों से,
हम भी इरादे के पक्के हैं मुस्कुराना नहीं छोडेंगे।
आँखों की झील से दो कतरे क्या निकल पड़े,
मेरे सारे दुश्मन एकदम खुशी से उछल पडे़।
जहाँ भी जिक्र हुआ सुकुन का,
वही मुझे तेरी बाहों कि तलब लग जाती हैं।
बंद लिफाफा था अब तो इश्तहार हो गयी,
मेरी मासूम सी मोहब्बत अखबार हो गयी।
कोन कैसा है, ये ही फ़िक्र रही तमाम उम्र
हम कैसे है, ये कभी भूल कर भी नही सोचा।