2 Line Shayari, Bahut sa pani chupaya - Paagalwords.blogspot.com
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2 Line Shayari, Bahut sa pani chupaya

बहुत सा पानी छुपाया है मैंने अपनी पलकों में​,
जिंदगी लम्बी बहुत है, क्या पता कब प्यास लग जाए​।

जो तार से निकली है वो धुन सबने सुनी है,
जो साज़ पर बीती है वो दर्द किस दिल को पता।

कौन तोलेगा हीरों में अब तुम्हारे आंसू सेराज़,
वो जो एक दर्द का ताजिर था दुकां छोड़ गया।

तासीर किसी भी दर्द की मीठी नहीं होती ग़ालिब,
वजह यही है की आँसू भी नमकीन होते है।

मेरे टूटने का ज़िम्मेदार मेरा जौहरी ही है,
उसी की ये ज़िद थी की अभी और तराशा जाए।

ये सुर्ख लब, ये रुखसार, और ये मदहोश नज़रें
इतने कम फासलों पर तो मयखाने भी नहीं होते।

अपने रब के फैसले पर, भला शक केसे करूँ,
सजा दे रहा है गर वो, कुछ तो गुनाह रहा होगा मेरा।

शान‬ से ‪जीने‬ का‪‎शौंक है, वो तो हम ‪‎जियेंगे
बस ‪तूँ ‬अपने ‪आप‬ को‪‎ सम्भाल हम तो ‪यूहीँ ‬‪चमकते‬ रहेंगे।

रिश्तो की जमावट आज कुछ इस तरह हो रही है,
बहार से अच्छी सजावट और अन्दर से स्वार्थ की मिलावट हो रही है!!

दिल से बड़ी कोई क़ब्र नहीं है,
रोज़ कोई ना कोई एहसास दफ़न होता है॥
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