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Bewafa Shayari, Kabhi roke muskuraye



कभी रोके मुस्कुराये, कभी मुस्कुराके रोये
तेरी याद जब भी आयी, तूझे भुला भुलाके रोये
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इक तेरा ही नाम था जिसे हज़ार बार था लिखा
जिसे खुस हुए थे लिखकर उसे मिटा मिटाके रोये
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मर जाऊं अगर तो आंसू मत बहाना
बस कफ़न  जगह अपना दुपट्टा चढ़ा जाना।
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कोई पूछे की रोग क्या था
तो सर झुका के मोहब्बत बता जाना।
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लोग तो अपना बनाके छोड़ देते हैं
कितनी आसानी से गैरो से रिश्ता जोड़ लेते हैं।
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हम इक फूल तक न तोड़ सके कभी
कुछ लोग तो बेरहमी से दिल भी तोड़ देते हैं।
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अगर चाँद को पाना इतना आसान होता
हर कोई चाँदनी का दीवाना होता।
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तारे तो रोज़ ही टूटते है आसमान पे
पर कोई उनका सहारा नही होता।
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दिल तोड़ेगा तो फ़रियाद करोगे तुम भी
हम न रहे तोह हमें याद करोगे तुम भी।
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आज कहते हो हमारे पास वक़्त नही
पर इक दिन मेरे लिए वक़्त बर्बाद करोगे तुम भी।
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तमाम रात वो ज़ख्म दे के अपने पैरों को
मेरे वज़ूद के राज़ तलाश करते थे।
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दुआए करते थे उजड़े मजरों पे
बड़े अजीब शहर तलाश करते थे।
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मुझे तो बताया है बादलों ने
वो लौटने के रास्ते तलाश करते हैं
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