*मुक्तक*✍
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भूख का इम्तिहान बाकी है ।
अभी तो कुछ जान बाकी है ॥
गनिमत हौसला मजबूत है ।
भूख पर मेरी कमान बाकी है ॥
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दिये जख़्मों के निशान बाकी है ।
आस-पास अभी हैवान बाकी है ॥
अभी तो गनिमत थोड़े से ही है ।
उधर देखो सारा जहाँन बाकी है ॥
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लिखना तो अभी और बाकी है ।
है बचा थोड़ा सा खून बाकी है ॥
खंजर तुम कलम ही बने रहना ।
मौत का दरमियान जो बाकी है ॥
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तेरे बाद भी मेरी जुबान बाकी है ।
दिल के कोरे पन्ने और बाकी है ॥
"मनु"थोड़ा जख़्म गहरा तो कर ।
कुछ धड़कने यहाँ वहाँ बाकी है ॥
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© स्वरचित :- महेन्द्र जैन "मनु"