पुरुष की खूबसूरती पर कुछ पंक्तियां
खचाखच भरी ट्रेन और बस में मुझे
थका देख कर जब वह अपनी जगह
मुझे देता है
तो झलकती है उसकी खूबसूरती
बिना नाते के भी जब उसकी नज़रों में
अपने लिए सम्मान देखती हूं
तो झलकती उसकी खूबसूरती
अंधेरा हो जाने पर जब वह मुझे
मेरे घर तक छोड़ कर आता है
तो झलकती है उसकी खूबसूरती
अगर कोई मुझसे दुर्व्यवहार करें
और वह आवाज उठाता है
तो झलकती है उसकी खूबसूरती
मुझे सामने से आता देख खुद
ही रास्ते से हट जाता है
तो झलकती है उसकी खूबसूरती
जब वो समझता है कि हर औरत
किसी की मां बेटी और बहन है
तो झलकती है उसकी खूबसूरती
अपनी बेटी की विदाई में जब
रो रोकर अपने प्यार को बाहाता है
तो झलकती है उसकी खूबसूरती
बहन घर लौटने में देर हो जाने पर
जब चिल्लाकर उसे वक्त बताता है
तो झलकती है उसकी खूबसूरती
अपनी पत्नी के बिना रंगीन दुनिया
होने पर भी जब अपने जीवन को
अर्थहीन बताता है
झलकती है उसकी खूबसूरती
भारी समान ना उठाने पानेपर
जब भागकर वह मेरे पास आता है
मैं कुछ मदद करूं?
झलकती है उसकी खूबसूरती
औरत के सम्मान में कही गई
दो पंक्तियां भी उसे
और खूबसूरत और
खूबसूरत और खूबसूरत बना देती है.......